भारत में Property Deal सिर्फ़ पैसा लगाने जितना आसान नहीं है। यह एक किसम की जटिल प्रक्रिया है, जहां दस्तावेज़ों की सही जाँच न करने पर आप भारी नुकसान या कानूनी झमेलों में फँस सकते हैं।
अक्सर लोग सोचते हैं कि रजिस्ट्री और सेल डीड ही काफी हैं, लेकिन मालिकाना हक साबित करने के लिए कई अन्य दस्तावेज़ भी उतने ही ज़रूरी हैं। आइए समझते हैं कि संपत्ति खरीदते समय किन दस्तावेज़ों पर ध्यान देना चाहिए और क्यों।
सेल डीड (Sale Deed)
सेल डीड प्रॉपर्टी खरीदने का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। यह एक रजिस्टर्ड एग्रीमेंट होता है, जो कानूनी रूप से साबित करता है कि पिछले मालिक ने संपत्ति का अधिकार आपको ट्रांसफर किया है।
इसमें प्रॉपर्टी का पूरा विवरण (जैसे एड्रेस, साइज़, और बाउंड्री) स्पष्ट होना चाहिए। सेल डीड की वैधता जाँचने के लिए इसे सब-रजिस्ट्रार ऑफिस या राज्य के भूलेख पोर्टल (जैसे UP, महाराष्ट्र) पर वेरिफाई करवाएँ। बिना वैध सेल डीड के, संपत्ति पर आपका दावा कमज़ोर हो सकता है।
म्युटेशन सर्टिफिकेट
सेल डीड के बाद, म्युटेशन सर्टिफिकेट (खतौनी) स्थानीय नगर निगम या तहसील में आपका नाम दर्ज करवाता है। यह दस्तावेज़ दिखाता है कि अब आप प्रॉपर्टी टैक्स के लिए ज़िम्मेदार हैं। अगर म्युटेशन नहीं हुआ है, तो सरकारी रिकॉर्ड में पिछले मालिक का नाम बना रहता है,
जिससे लोन लेने या प्रॉपर्टी बेचने में दिक्कत आती है। इसके लिए सेल डीड की कॉपी और एप्लीकेशन जमा करनी होती है। कई राज्यों में यह प्रक्रिया अब ऑनलाइन भी हो गई है।
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प्रॉपर्टी टैक्स रसीद
प्रॉपर्टी टैक्स की ताज़ा रसीदें यह सुनिश्चित करती हैं कि पिछले मालिक ने सभी सरकारी भुगतान समय पर किए हैं। अगर टैक्स बकाया है, तो नया मालिक उसे चुकाने के लिए बाध्य हो सकता है। इसलिए, खरीदारी से पहले पिछले 3-5 साल की रसीदें जमा करें और नगर निगम की वेबसाइट पर उन्हें वेरिफाई करें।
मूल भूमि दस्तावेज़
प्रॉपर्टी का पूरा इतिहास जानने के लिए मूल दस्तावेज़ (जैसे पुरानी सेल डीड, गिफ्ट डीड, या विरासत के कागज़ात) चेक करें। यह पुष्टि करता है कि संपत्ति पर किसी अन्य व्यक्ति का दावा नहीं है। उदाहरण के लिए, अगर संपत्ति विरासत में मिली है, तो वैध विल (वसीयतनामा) होना चाहिए
नक्शा और सर्वे रिपोर्ट
सरकारी मान्यता प्राप्त नक्शा और सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रॉपर्टी किसी सरकारी ज़मीन, रोड, या नदी के करीब तो नहीं है। कई बार बिल्डर फ़र्ज़ी नक्शे दिखाकर अतिक्रमण वाली ज़मीन बेच देते हैं, जिससे बाद में धोखाधड़ी का खतरा रहता ह
एनओसी (No Objection Certificate)
अगर प्रॉपर्टी किसी सोसाइटी या बिल्डर से खरीद रहे हैं, तो एनओसी लेना ज़रूरी है। यह दस्तावेज़ बताता है कि बिल्डर ने सभी कानूनी प्रक्रियाएँ पूरी कर ली हैं और संपत्ति पर कोई पेंडिंग लोन या लीगल इश्यू नहीं है।
वकील की रिपोर्ट
एक अनुभवी प्रॉपर्टी वकील सभी दस्तावेज़ों की गहन जाँच करता है। वह छिपे हुए जोखिमों (जैसे लोन, मुकदमे, या गलत मालिकाना दावे) को पहचानकर आपको सलाह देता है। यह कदम भविष्य के विवादों से बचाने में मददगार साबित होता है।
क्यों हैं ये दस्तावेज़ इतने महत्वपूर्ण?
भारत में Property Deal से जुड़े फ़्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। NCRB 2022 के अनुसार, 10% प्रॉपर्टी केस दस्तावेज़ी धोखाधड़ी से जुड़े हैं। सही दस्तावेज़ न केवल बैंक लोन की प्रक्रिया आसान बनाते हैं, बल्कि विवाद होने पर कोर्ट में आपके केस को मज़बूती भी देते हैं। साथ ही, ये संपत्ति के पुनर्विक्रय में खरीदार का भरोसा बढ़ाते हैं।
सावधानी इन गलतियों से बचें!
कभी भी ओरिजिनल दस्तावेज़ बिना वेरिफाई किए न खरीदें। पावर ऑफ़ अटॉर्नी वाले डील्स में सतर्क रहें, क्योंकि कई बार यह फ़्रॉड का ज़रिया बन जाता है। सोशल मीडिया या अखबार के ऐड्स पर भरोसा करने से पहले दस्तावेज़ों की जाँच अवश्य करें।
(यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। कानूनी सलाह के लिए हमेशा क्वालिफ़ाइड वकील से संपर्क करें।)