भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने 2025 के लिए कुछ ऐसे नए प्रस्ताव पेश किए हैं, जो आपके फोन calls के अनुभव को हमेशा के लिए बदल सकते हैं। ये बदलाव स्पैम कॉल, फर्जी नंबरों के दुरुपयोग और नेटवर्क अराजकता को रोकने के साथ साथ आपकी सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देंगे। आइए समझते हैं कि TRAI की ये योजनाएं आपके लिए क्यों मायने रखती हैं।
CNAP सिस्टम: अब कॉलर का नाम भी दिखेगा
अगर आपको अक्सर Unknown नंबरों से कॉल आती हैं तो TRAI का Calling Name Presentation (CNAP) सिस्टम आपके लिए गेम चेंजर साबित होगा। इस टेक्नोलॉजी के तहत, कॉल आते ही आपकी स्क्रीन पर कॉलर का नंबर और उसका नाम दोनों दिखाई देंगे।
यह नाम कॉन्टैक्ट लिस्ट में न होने पर भी दिखेगा, क्योंकि यह जानकारी टेलीकॉम कंपनियों के डेटाबेस से ली जाएगी। इससे आप फर्जी Calls को पहचान सकेंगे। उदाहरण के लिए, अगर कोई बैंक का ऑफिसर होने का दावा करके कॉल करेगा, तो उसके नाम से पता चल जाएगा कि कॉल वास्तविक है या नहीं।
हालांकि, इस सिस्टम को लागू करने में टेलीकॉम कंपनियों को अपने नेटवर्क में बदलाव करने होंगे और यूजर्स की प्राइवेसी को सुरक्षित रखने के लिए गाइडलाइन्स भी जारी की जाएंगी।
लैंडलाइन नंबरों का नया रूप
लैंडलाइन नंबर अब पुराने ज़माने की याद नहीं, बल्कि मॉडर्न सिस्टम का हिस्सा बनने जा रहे हैं। TRAI के मुताबिक, अब सभी लैंडलाइन नंबर 10 अंकों के होंगे और इन्हें LSA (Licensed Service Area) के हिसाब से जारी किया जाएगा। इससे नंबरों का आवंटन व्यवस्थित होगा।
कॉल करने का नया तरीका:
लैंडलाइन से किसी मोबाइल या दूसरे शहर के लैंडलाइन पर कॉल करने के लिए नंबर से पहले “0” डायल करना होगा। वहीं, मोबाइल से कॉल करने के नियम पहले जैसे ही रहेंगे।
इस बदलाव को लागू करने के लिए कंपनियों को 6 महीने का समय मिलेगा। यह कदम लैंडलाइन यूजर्स की संख्या घटने के बावजूद उन्हें रिलेवेंट बनाए रखने के लिए जरूरी है।
निष्क्रिय नंबर होंगे बंद
क्या आपका कोई पुराना नंबर लंबे समय से इस्तेमाल नहीं हुआ है? TRAI ने ऐसे नंबरों को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। अगर कोई नंबर 90 दिन तक इस्तेमाल नहीं होता, तो उसे डिएक्टिवेट नहीं किया जाएगा।
लेकिन अगर वही नंबर 365 दिन (1 साल) तक निष्क्रिय रहता है, तो उसे पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा और किसी दूसरे यूजर को आवंटित किया जा सकेगा। इससे दो फायदे होंगे पहला, नंबरों की कमी दूर होगी और दूसरा, सिम कार्ड की ब्लैक मार्केटिंग रुकेगी। साथ ही, फ्रॉड के लिए निष्क्रिय नंबरों के इस्तेमाल की संभावना भी कम होगी।
टेलीकॉम कंपनियों पर नहीं पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
TRAI ने तोर से कहा है कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स को नंबर आवंटित करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। साथ ही, दूरसंचार विभाग (DoT) यह सुनिश्चित करेगा कि जो number लंबे समय से इस्तेमाल नहीं हो रहे, उन्हें ट्रैक करके वापस लिया जाए। इससे नंबरों की बर्बादी रुकेगी और संसाधनों का सही इस्तेमाल होगा।
आपके लिए क्यों हैं ये बदलाव जरूरी?
- स्पैम से छुटकारा: CNAP सिस्टम से आप अज्ञात कॉलर्स को पहचान सकेंगे और फ्रॉड से बचेंगे।
- कॉलिंग सरल होगी: लैंडलाइन नंबरों का नया फॉर्मेट भ्रम को खत्म करेगा।
- सुरक्षित नंबर: निष्क्रिय नंबरों की मॉनिटरिंग से साइबर ठगी के मामले कम होंगे।
कब तक होगा लागू?
ये प्रस्ताव अभी सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। मंजूरी मिलते ही टेलीकॉम कंपनियों को इन्हें लागू करने के लिए 6 महीने से 1 साल का समय मिलेगा। एक्सपर्ट्स का मानना तो यह है कि ये बदलाव भारत को Global टेलीकॉम स्टैंडर्ड्स के करीब लाएंगे। TRAI के ये Rules सिर्फ नीतियां नहीं, बल्कि आम लोगों की परेशानियों का हल हैं।
अगर ये प्रस्ताव सही तरीके से लागू होते हैं, तो भारत में कॉलिंग अनुभव सुरक्षित, पारदर्शी और आसान हो जाएगा। फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि टेलीकॉम कंपनियां इन चुनौतियों को कितनी तेजी से अमल में लाती हैं। आपकी सुरक्षा के लिए ये बदलाव एक बड़ा कदम साबित हो सकते हैं।
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