राजस्थान सरकार ने मुफ्त राशन योजना को लेकर एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और खाद्य मंत्री सुमित गोदारा के नेतृत्व में शुरू किए गए ‘गिवअप अभियान’ यानी ‘त्याग अभियान’ का मकसद साफ है: “जो गरीब नहीं हैं, वे योजना छोड़ें, ताकि असली जरूरतमंदों को उनका हक मिल सके।“
अब तक इस अभियान के तहत 20 Lakh से अधिक लोगों ने खुद ही मुफ्त राशन लेने से इनकार कर दिया है, जबकि 27.95 lakh नए परिवारों को इस योजना में शामिल किया गया है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि सिस्टम में पारदर्शिता लाने का यह प्रयोग सफल हो रहा है।
उदयपुर में कैसे बदला Model?
इस अभियान का सबसे बड़ा असर उदयपुर जिले में देखने को मिला है। यहां 32 हज़ार लोगों ने अपनी इच्छा से मुफ्त राशन छोड़ने का फैसला किया, वहीं 1.64 लाख नए आवेदकों ने योजना में शामिल होने की इच्छा जताई।
District रसद अधिकारी मनीष भटनागर के मुताबिक, लोगों को अधिक समय देने के लिए अभियान की अंतिम तिथि 31 मई 2025 तक कर दी गयी है। इसका मतलब है कि जो लोग अभी तक अपनी पात्रता जांच नहीं करा पाए हैं, वे अब भी योजना का लाभ ले सकते हैं या छोड़ सकते हैं।
किन लोगों को माना गया ‘अपात्र’?
सरकार ने पात्रता के लिए साफ नियम बनाए हैं। अगर किसी परिवार की सालाना आय 1 लाख रुपये से ज्यादा है, परिवार में कोई सरकारी नौकरी करता है, आयकरदाता है, या उनके पास कार जैसा चार पहिया वाहन (ट्रैक्टर को छोड़कर) है, तो ऐसे लोगों को योजना का लाभ लेने का अधिकार नहीं है।
इन नियमों के उल्लंघन पर अब सख्ती की जा रही है। उदयपुर में पहले ही 300 अपात्र लाभार्थियों को नोटिस भेजकर उनसे मुफ्त में लिया गया राशन वापस मांगा गया है।
टेक्नोलॉजी से हुई पारदर्शिता
अपात्र लोगों की पहचान करने के लिए सरकार ने डिजिटल तकनीक का सहारा लिया है। आधार कार्ड, पैन कार्ड, औरE-KYC के जरिए लाभार्थियों की आय और नौकरी की जानकारी जुटाई जा रही है। उदाहरण के लिए, गाजीपुर में ई-केवाईसी की मदद से 13,294 मृतकों के नाम सूची से हटाए गए। इससे साफ है कि तकनीक के इस्तेमाल से फर्जीवाड़े पर रोक लगी है।
जुर्माने का डर और वसूली प्रक्रिया
सरकार ने यह चेतावनी देते हुए ये कहा है कि अगर कोई 30 अप्रैल 2024 के बाद अपात्र व्यक्ति योजना का गलत फायदा उठाते पाया जाता है, तो उससे 27 रुपये प्रति किलो के हिसाब से राशन की कीमत चुकाएगा। मान लीजिए, अगर किसी ने 100 किलो गेहूं लिया है, तो उसे 2,700 रुपये का भुगतान करना होगा। यह कदम भ्रष्टाचार रोकने और सरकारी खजाने को बर्बादी से बचाने के लिए जरूरी है।
नए लाभार्थियों को मिला मौका
इस अभियान का सबसे बड़ा फायदा उन 27.95 लाख नए परिवारों को हुआ है, जो परिवार पहले इस योजना से वंचित थे। इनमें ग्रामीण इलाकों के गरीब किसान, मजदूर और छोटे व्यवसायी शामिल हैं। सरकार का दावा है कि अब राशन की दुकानों पर लंबी कतारें कम होंगी और असली जरूरतमंदों को समय पर सहायता मिलेगी।
क्यों सफल हुआ ‘गिवअप अभियान’?
इस अभियान की सफलता के पीछे तीन मुख्य वजहें हैं: जागरूकता, तकनीक, और कानूनी डर। सरकार ने लोगों को समझाया कि गरीबों का हक छीनना गलत है। साथ ही, डेटा शेयरिंग और डिजिटल ट्रैकिंग से अपात्रों की पहचान आसान हुई। वहीं, नोटिस और जुर्माने के नियमों ने लोगों को गलत कदम उठाने से रोका।
गरीबी के खिलाफ एक कदम
राजस्थान का यह प्रयोग देश के अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल है। यह दिखाता है कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाकर गरीबों तक मदद पहुंचाई जा सकती है। अगर आप भी इस योजना का हिस्सा हैं, तो अपनी पात्रता जरूर जांचें। याद रखें, “गरीब का हक छीनना न सिर्फ गुनाह है, बल्कि देश की प्रगति में रोड़ा है।”
इस तरह, राजस्थान ने मुफ्त राशन योजना को एक न्यायपूर्ण और प्रभावी मॉडल में बदलकर साबित किया है कि सही इरादे और सख्त कदमों से बदलाव संभव है।
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