Loan EMI Rules: आज के समय में Loan लेना तो एक आम बात हो गई है, चाहे घर खरीदना हो, कार लेना हो, या फिर बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसों की जरूरत। लेकिन अचानक नौकरी चले जाना, बिज़नेस में नुकसान, या महंगाई बढ़ने की वजह से EMI चुकाना मुश्किल हो जाता है।
अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो घबराएं नहीं यहां आपके लिए कुछ आसान और प्रैक्टिकल समाधान बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप बैंक के सख्त एक्शन से बच सकते हैं और अपने सिबिल स्कोर को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
पहला कदम: बैंक से बात करने में देरी न करें
EMI न चुका पाने की स्थिति में सबसे बड़ी गलती चुप रहना है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के मुताबिक, हर बैंक ग्राहकों को मुश्किल समय में मदद देने के लिए बाध्य है। जैसे ही आपको लगे कि अगले कुछ महीनों में EMI भरना मुश्किल होगा, तुरंत अपने बैंक या लोन प्रोवाइडर को सूचित करें।
अधिकतर केस में बैंक आपको दो विकल्प देते हैं: EMI को कुछ महीनों के लिए टालना (मोरेटोरियम) या लोन की अवधि बढ़ाकर EMI की रकम कम करना। उदाहरण के लिए, अगर आपकी मासिक किस्त ₹20,000 है और आप 6 महीने का मोरेटोरियम लेते हैं, तो इस दौरान आपको EMI नहीं देनी होगी, लेकिन लोन की अवधि बढ़ जाएगी।
वहीं, अगर आप लोन को 5 साल से बढ़ाकर 7 साल कर देते हैं, तो EMI ₹15,000 तक कम हो सकती है। पर ध्यान रखें: बैंक से बिना बात किए EMI मिस करने पर आपका सिबिल स्कोर 100 पॉइंट तक गिर सकता है, जो भविष्य में किसी भी लोन को मुश्किल बना देगा।
लोन पुनर्गठन: लंबे समय का समाधान
अगर आपको लगता है कि आय में कमी की समस्या कुछ महीने नहीं, बल्कि सालभर रहेगी (जैसे नौकरी बदलना या बिज़नेस ठप होना), तो लोन रिस्ट्रक्चरिंग (restructuring) सबसे अच्छा विकल्प है। इसमें बैंक लोन की अवधि बढ़ाकर EMI को आपकी क्षमता के अनुसार कम कर देता है।
जैसे, अगर आपने ₹30 लाख का होम लोन 15 साल के लिए लिया है, तो अवधि बढ़ाकर 20 साल करने पर EMI ₹5,000-₹7,000 तक कम हो सकती है। इस प्रक्रिया के लिए बैंक आपकी मौजूदा आय, खर्चे और अन्य लोन का ब्यौरा मांगेगा।
गलती से भी न लें दूसरा लोन
EMI का प्रेशर होने पर कई लोग पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड से पैसे जुटाने की सोचते हैं। यह एक जाल की तरह है! इससे आपकी महीने की किश्तें दोगुनी हो जाएंगी, और ब्याज दर (जो 12% से 24% तक हो सकती है) आपकी बचत को खत्म कर देगी। इसकी बजाय, अपने खर्चों को प्राथमिकता दें। जैसे:
- गैर-जरूरी सब्सक्रिप्शन (Netflix, Amazon Prime) कैंसिल करें।
- महीने में 2-3 बार बाहर खाने की बजाय घर का खाना खाना खायें, पैक करें।
- फ्रीलांसिंग, ट्यूशन पढ़ाना, या ऑनलाइन बिज़नेस से अतिरिक्त आय कमाएं।
एक्सपर्ट की सलाह लेना न भूलें
अगर समझ नहीं आ रहा कि क्या करें, तो क्रेडिट काउंसलर से संपर्क करें। भारत में RBI द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाएं जैसे CREST और Disha Financial Counselling मुफ्त या कम खर्च में आपकी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करके सही रास्ता दिखाती हैं। ये एक्सपर्ट्स बैंक से बातचीत करवाने, कर्ज चुकाने की सही रणनीति बनाने, और सिबिल स्कोर सुधारने में मदद करते हैं।
बैंक एक्शन से पहले याद रखें ये 3 बातें
- सिबिल रिपोर्ट चेक करें: CIBIL की वेबसाइट से ₹500 में अपनी रिपोर्ट डाउनलोड करें। अगर स्कोर 750+ है, तो बैंक आपकी बात जल्दी मानेगा।
- संपत्ति बेचने की जल्दबाजी न करें: गहने या प्रॉपर्टी बेचकर EMI भरने से अच्छा है, पहले बैंक से रिस्ट्रक्चरिंग कराएं।
- लोन इंश्योरेंस का फायदा उठाएं: अगर आपने लोन लेते समय इंश्योरेंस लिया है, तो नौकरी जाने, दुर्घटना, या बीमारी की स्थिति में कंपनी EMI भर देगी।
अगर कुछ नहीं करेंगे, तो क्या होगा?
EMI न चुकाने पर बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है। होम लोन या कार लोन की स्थिति में प्रॉपर्टी जब्त की जा सकती है। साथ ही, CIBIL Score 300 के स्तर तक गिरने पर भविष्य में 5 से 7 साल तक कोई नया लोन नहीं मिलेगा। इसलिए, समय रहते सही कदम उठाएं।