भारत में CNG कारों की लोकप्रियता का मुख्य कारण है उनका शानदार माइलेज और पेट्रोल-डीजल के मुकाबले कम खर्चीला होना। लेकिन, कई बार CNG से जुड़ी जरूरी सुरक्षा बातों की जानकारी न होने के कारण लोग अनजाने में बड़े खतरे मोल ले लेते हैं।
इन्हीं में से एक है CNG भरवाते समय कार से बाहर निकलने की सख्त सलाह। आपने भी पेट्रोल पंप पर बड़े-बड़े बोर्ड लगे देखे होंगे जो यही निर्देश देते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों जरूरी है? आइए, समझते हैं इसके पीछे के असली तकनीकी और सुरक्षा कारण:
उच्च दबाव का खतरा
CNG को कार की टंकी में भरने का मतलब है बेहद उच्च दबाव पर गैस को संपीड़ित करके पंप करना। यह दबाव एक सामान्य कार के टायर के दबाव से लगभग 80 से 100 गुना ज्यादा होता है इस तेजी और अत्यधिक दबाव के कारण अगर कार के अंदर ड्राइवर या यात्री बैठे हों, तो कार का वजन बढ़ जाता है। CNG टंकी (जो आमतौर पर स्टील या कंपोजिट की बनी होती है) और कार की चेसिस पर इस अतिरिक्त वजन के कारण अनावश्यक दबाव पड़ता है।
हालांकि टंकी इस दबाव को झेलने के लिए डिज़ाइन की जाती है, लेकिन खाली कार की तुलना में भरी हुई कार में इस उच्च दबाव वाली प्रक्रिया के दौरान तनाव बढ़ सकता है। यह एक सुरक्षा उपाय है ताकि किसी भी तरह की संरचनात्मक कमजोरी (जैसे पुरानी टंकी, छोटी दरार) हो तो उस पर अतिरिक्त दबाव न पड़े और बड़ा हादसा टल जाए।
CNG गैस रिसाव का जोखिम
CNG गैस हल्की और ज्वलनशील होती है। फिलिंग के दौरान, हाई-प्रेशर कनेक्शन पॉइंट्स (जैसे नॉजल, वाल्व, पाइप) पर अचानक लीकेज होने का खतरा हमेशा बना रहता है। यह लीकेज मामूली भी हो सकता है या फिर अचानक बड़ा। अगर ऐसा होता है और आप कार के अंदर बैठे हैं, तो:
- आग लगने का खतरा: कार के अंदर कोई भी स्पार्क (जैसे मोबाइल का स्विच चालू करना, लाइटर, यहां तक कि स्टेटिक बिजली भी) लीक हुई गैस को भड़का सकता है, जिससे तुरंत भीषण आग लग सकती है।
- धमाके का जोखिम: बंद कार के अंदर जल्दी से गैस फैल सकती है। अगर यह मिश्रण विस्फोटक स्तर तक पहुंच जाए और कोई इग्निशन सोर्स मिल जाए, तो भयानक धमाका हो सकता है। बाहर खड़े रहने से आप इस सीधे खतरे से बच जाते हैं और अगर लीकेज हो भी तो तुरंत कर्मचारियों को सचेत कर सकते हैं।
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मीटर पर नजर रखना है जरूरी
CNG का मीटर पेट्रोल-डीजल के मीटर से अलग और थोड़ा जटिल होता है। यह किलोग्राम (kg) में गैस मापता है। कई बार तकनीकी गड़बड़ी या कर्मचारी की लापरवाही से ओवरफिलिंग (जरूरत से ज्यादा गैस भरना) हो सकता है। CNG टंकी को उसकी क्षमता से अधिक भरना बेहद खतरनाक है:
टंकी में गैस ज्यादा होने से उसका दबाव सुरक्षित सीमा से ऊपर चला जाता है। टंकी में एक सेफ्टी रिलीफ वाल्व होता है जो अतिरिक्त दबाव को कम करने के लिए खुलता है। अगर यह वाल्व फेल हो जाए या ठीक से काम न करे (जो ओवरफिलिंग के दबाव में हो सकता है), तो टंकी फटने का खतरा बढ़ जाता है।
लगातार ओवरफिलिंग से टंकी की सामग्री पर दबाव पड़ता है, जिससे लंबे समय में वह कमजोर हो सकती है। कार के बाहर खड़े होकर आप मीटर को अच्छी तरह देख सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि टंकी उसकी निर्धारित क्षमता (जो कार और टंकी पर लिखी होती है) से ज्यादा न भरे। साथ ही, आप कर्मचारी को तुरंत रोक सकते हैं।