E-Adhigam: हरियाणा के सरकारी टैब पर अब नहीं मिलेगा मुफ्त इंटरनेट, छात्रों की पढ़ाई पर संकट

E-Adhigam: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य सरकार की ई-अधिगम योजना के तहत बांटे गए टैबलेट में मुफ्त इंटरनेट डाटा की सुविधा अचानक बंद कर दी गई है।

शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि अब छात्रों को अपने टैब चलाने के लिए खुद डाटा रिचार्ज करवाना होगा या स्कूल के नेटवर्क का सहारा लेना होगा। इस फैसले से ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित होगी।

क्या थी ई-अधिगम योजना?

साल 2022 में शुरू हुई इस योजना का मकसद कक्षा 10 से 12 तक के छात्रों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ना था। अब तक करीब 5 लाख छात्रों को मुफ्त टैबलेट दिए गए थे। इन टैब में एयरटेल और जियो के सिम पहले से लगे थे, जिनसे छात्रों को रोजाना 2GB मुफ्त इंटरनेट मिलता था।

इस डाटा का इस्तेमाल वे ऑनलाइन क्लासेज, शैक्षिक वीडियो, टीचर्स के भेजे गए असाइनमेंट और टेस्ट देने के लिए करते थे। कई छात्रों के लिए यही डाटा पढ़ाई का मुख्य जरिया था।

अचानक क्यों बंद हुई सुविधा?

शिक्षा विभाग के आदेश में इस फैसले को “अस्थायी रोक” बताया गया है, लेकिन ठोस कारण नहीं बताया गया। ई-अधिगम योजना के प्रभारी अधिकारी हरीश चावला ने बताया कि यह फैसला योजना में “सुधार” के लिए लिया गया है और भविष्य में इसे दोबारा शुरू किया जा सकता है।

हालाँकि, जानकारों का मानना है कि डाटा की लागत या योजना के प्रबंधन में दिक्कतें इसकी वजह हो सकती हैं।

गांव और गरीब परिवारों के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित

यह रूल बहुत से स्टूडेंट्स के लिए मुश्किल खड़ी कर देगा जिन के पास इंटरनेट खरीदने के पैसे नहीं हैं:

  1. ग्रामीण इलाकों में अक्सर नेटवर्क कनेक्शन कमजोर होता है।
  2. कई परिवार महंगे डाटा पैक नहीं खरीद सकते।
  3. बिना इंटरनेट के टैब का अधिकांश शैक्षिक कंटेंट बेकार हो जाएगा।

शिक्षक रोज टैब के जरिए होमवर्क और वीडियो भेजते थे। अब जिन बच्चों के पास इंटरनेट नहीं होगा, वे पीछे रह सकते हैं। इससे शिक्षा में अंतर बढ़ने का खतरा है।

छात्र अब क्या कर सकते हैं?

मुश्किल हालात में छात्र इन विकल्पों का सहारा ले सकते हैं:

  1. घर के वाई-फाई या दूसरे डिवाइस का डाटा इस्तेमाल करना।
  2. स्कूल के कंप्यूटर लैब या वाई-फाई का इस्तेमाल करना (अगर उपलब्ध हो)।
  3. शिक्षकों से प्रिंटेड नोट्स या ऑफलाइन सामग्री मांगना।

शिक्षकों को भी चाहिए कि वे ऐसे छात्रों के लिए अलग से सामग्री तैयार करें ताकि कोई पीछे न रह जाए।

आगे की राह

सरकार के इस फैसले से डिजिटल शिक्षा का सपना अधूरा लगता है। यदि यह रोक लंबी चलती है, तो हजारों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। जरूरत इस बात की है कि सरकार या तो जल्द मुफ्त डाटा वापस लाए, या गरीब छात्रों के लिए सस्ते इंटरनेट पैकेज की व्यवस्था करे। साथ ही, स्कूलों को भी ऑफलाइन शिक्षण सामग्री बढ़ानी होगी।

हरियाणा की डिजिटल शिक्षा क्रांति तभी सफल होगी जब हर बच्चे तक पढ़ाई का साधन पहुंचेगा चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन।

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Anup

अनुप सिंह एक अनुभवी कंटेंट लेखक हैं, जो सरकारी योजनाओं, जनकल्याणकारी स्कीमों और सोशल वेलफेयर से जुड़ी जानकारी सरल हिंदी भाषा में प्रस्तुत करते हैं। इनका उद्देश्य है कि भारत के हर नागरिक तक सही और सटीक जानकारी पहुंचे ताकि वे सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठा सकें।

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