हरियाणा सरकार ने अपनी नई एक्साइज पॉलिसी 2025 में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए शराब ठेकों को लेकर कड़े नियम लागू किए हैं। इस नीति का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में नशाखोरी कम करना, शैक्षिक संस्थानों 9को सुरक्षित वातावरण देना और सामाजिक संयम को बढ़ावा देना है। आइए, जानते हैं कि यह नीति कैसे राज्य के लोगों और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी।
गुरुकुलों के आसपास शराब ठेकों पर पूर्ण प्रतिबंध
हरियाणा सरकार ने सबसे चर्चित फैसला करते हुए गुरुकुल चल रहे गांवों में शराब ठेकों पर रोक लगा दी है। गुरुकुलों में वैदिक शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों पर जोर दिया जाता है, जहाँ शराब को सामाजिक बुराई माना जाता है।
सरकार का मानना है कि इन संस्थानों के आसपास शराब की उपलब्धता से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और संस्कार प्रभावित हो सकते हैं। इस कदम से ग्रामीण शिक्षा प्रणाली को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
गांवों में ठेकों की संख्या पर सीमा
नई नीति के मुताबिक, अब किसी भी गाँव में 2 किलोमीटर के दायरे में केवल एक ही शराब का ठेका खोला जा सकेगा। पहले, अधिक आबादी वाले इलाकों में कई ठेके चलते थे, जिससे शराब की लत और अपराध दर बढ़ रही थी। इस नियम से नशे के प्रसार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
500 से कम आबादी वाले गाँवों में बैन
- 500 से कम लोगों वाले गाँवों में कोई ठेका नहीं खुलेगा।
- 500 से 5000 की आबादी पर सिर्फ 1 ठेका अनुमति।
- इससे छोटे गाँवों में शराब से होने वाली हिंसा और आर्थिक समस्याएँ कम होंगी।
शहरों में कॉलेजों के पास ठेकों की दूरी घटी
शहरी क्षेत्रों में कॉलेजों के नजदीक शराब ठेकों की दूरी को 150 मीटर से घटाकर 75 मीटर कर दिया गया है। हालाँकि, इस फैसले को लेकर शिक्षाविदों और अभिभावकों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि युवाओं तक शराब की आसान पहुँच उनके करियर और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है।
अंग्रेजी शराब 15% तक महँगी, बिक्री के समय में बदलाव
नई पॉलिसी में Excise ड्यूटी बढ़ने से विदेशी Brands (जैसे व्हिस्की, वाइन) की कीमतों में दस से पंद्रह की बढोतरी होगी। ठेकों पर रिजर्व प्राइस (Minimum price) बढ़ाए जाने से सस्ती शराब की बिक्री भी कम होगी।
शराब बिक्री के नए समय:
- गाँवों में अप्रैल-अक्टूबर सुबह 8 से रात 11 बजे तक और नवंबर-मार्च सुबह 8 से रात 10 बजे तक
- शहरों में पूरे साल सुबह 8 से रात 12 बजे तक
इस नियम से अवैध नाइट टाइम बिक्री और होर्डिंग पर नियंत्रण होगा।
क्या होगा फायदा या नुकसान?
सरकार का दावा है कि यह नीति युवाओं को नशे से दूर रखने और परिवारों को सुरक्षित बनाने में मदद करेगी। गुरुकुलों के आसपास प्रतिबंध से शिक्षा का स्तर सुधरेगा, जबकि गाँवों में ठेकों की कमी से महिलाओं और बच्चों पर होने वाली हिंसा घटेगी।
हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि शराब महँगी होने से नकली शराब का काला बाजार फल-फूल सकता है। साथ ही, शहरों में ठेकों की दूरी कम करने से युवाओं में नशाखोरी बढ़ने का खतरा है।
संतुलन बनाने की चुनौती
हरियाणा सरकार की यह नीति सामाजिक सुधार और आर्थिक स्थिरता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। ग्रामीण क्षेत्रों में नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देकर राज्य एक नए समाज की नींव रख रहा है। लेकिन, इसके साथ ही प्रशासन को नकली शराब और कानूनी ठेकों की निगरानी भी सख्ती से करनी होगी।
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